
भोजन की बात होती है – तो सैद्धांतिक तौर पर – भोजन वो होना चाहिए – जिससे न तो किसी का दोष लगा हो – ना पाप करके चोरी करके लाये हो – न ही हत्या अथवा हिंसा करके –
हिंसा कहते हैं – जो वैर भाव से किया गया कृत्य हो।
लेकिन यदि हम भोजन के तौर पर देखे की क्या खाया जाये – तो एक निर्धारण होता है – एक नियम है – उसकी और ध्यान देना आवश्यक है – क्योंकि ईश्वर ने मनुष्य बनाया तो उसकी भोजन सामग्री भी अवश्य बनाई होगी और वो ऐसी होनी चाहिए जो सुगम हो सर्वत्र हो आकर्षित करने वाली हो – जो हमारे खाने योग्य हो –
तो…
Read more: मनुष्य का सैद्धांतिक और नीतिगत भोजन शाकाहार है, मांसाहार नहीं

कुछ विद्वान मांसाहार को सही साबित करने के लिये कुछ अधिक ही अध्यात्मिक ज्ञान का बखान करते हुए विज्ञान का भी हवाला देते हैं, तब हंसी आती है। वैसे यह पश्चिमी विज्ञान की मान्यता नहीं है कि पेड़ पौद्यों में भी जीवन होता है बल्कि भारतीय अध्यात्म दर्शन भी इस बात की पुष्टि करता है कि वनस्पतियों में भी जीवन का स्पंदन होता है। ऐसे में मांसाहारी विद्वान दावा करते हैं कि जब सब्जी या अन्य शाकाहार पदार्थों के उत्पादन, जड़ से प्रथकीकरण तथा सेवन करने पर भी अन्य जीव की हत्या होती है ऐसे में पशु या पक्षियों को मारकर खाने को ही मांसाहार मानते हुए उसे पाप कैसे माना जाये?…
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केला: ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,हड्डियों को मजबूत बनाता है,हृदय की सुरक्षा करता है,अतिसार में लाभदायक है, खांसी में हितकारी है।
जामुन:केन्सर की रोक थाम,हृदय की सुरक्षा,कब्ज मिटाता है,स्मरण शक्ति बढाता है,रक्त शर्करा नियंत्रित करता है।डायबीटीज में अति लाभदायक।
सेवफ़ल: हृदय की सुरक्षा करता है, दस्त रोकता है,कब्ज में फ़ायदेमंद है,फ़ेफ़डे की शक्ति बढाता है.
चुकंदर:- वजन घटाता है,ब्लडप्रेशर नियंत्रित करता है,अस्थिक्छरण रोकता है,केंसर के विरुद्ध लडता है,हृदय की सुरक्षा करता है।
पत्ता…
आपने कई संगठनों और लोगों को अपने अधिकारी के लिए प्रोटेस्ट करते हुए देखा होगा। लेकिन लंदन में एक महिला अपने अधिकार के लिए नहीं बल्कि एनिमल्स को बचाने के लिए प्रोटेस्ट किया। लेकिन इसमें सबसे खास बात ये रही कि ये महिला बीच सड़क पर एक वेजिटेबल प्लेट पर बिना कपड़ों के ही लेट गई। जिसके बाद वहां लोग इक्कठा होने लगे।…
यूरोप घूमने आने वाले वेजीटेरियन लोगों के मन कई बार यह बात आती होगी कि पता नहीं वहां शाकाहारी खाना मिलेगा या नहीं. लेकिन अब कोई समस्या नहीं है. यूरोप में शाकाहारी ही नहीं ऐसे शुद्ध वीगन खाने की भी यहां कोई कमी नहीं है, जिनमें जानवरों से मिलने वाली किसी चीज का इस्तेमाल नहीं किया गया है. खुद को ट्रेंडी वीगन कहने वाले दो फैशन ब्लॉगर्स तो एक वीगन फास्ट फूड रेस्तरां चलाते हैं, जहां खूब भीड़ रहती है.…

बॉलीवुड से हॉलीवुड तक अपने अभिनय की छाप छोड़ने वाले अभिनेता इरफान खान का नाम आज पूरी दुनिया में मशहूर है। उन्होंने अपनी बहुमुखी प्रतिभा और अभिनय के दम पर हर वर्ग के दर्शकों को प्रभावित किया है। इरफान का अपना एक अलग ही अंदाज है। वह ऐसे कलाकार हैं, जो अपने जबरदस्त और शानदार अभिनय से किसी भी किरदार में जान डाल देते हैं। वह दिल से अभिनय करते हैं, जो उनकी भूमिकाओं में दिखता है।…

कालचक्र पूजा के छठे दिन बौद्ध धर्मगुरु दलाई लामा ने कालचक्र मैदान में उपासकों को प्रवचन देते हुए कहा कि मन व चित को एकाग्र करने के लिए शाकाहारी होना आवश्यक है. इससे मन व शरीर दोनों शांत रहते हैं.…
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अक्सर इस बात को लेकर बहुत बहस होती है कि शाकाहारी या माँसाहारी खाने में से बेहतर कौन है या फिर दोनों में से किसका सेवन हमारे लिए फायदेमंद है। वैसे जो लोग बॉडीबिल्डिंग जैसे पेशे में है या जिमिंग वगैरह करते है उनका जवाब शायद माँसाहार होगा और इसके पीछे का कारण वो इसमें भरपपुर मात्रा में पाए जाने प्रोटीन को ही मानते होंगे। जो लोग शाकाहारी है उन्हें यह जान कर आश्चर्य के साथ ख़ुशी भी होगी कि अमेरिका जैसे देश में शाकाहार अपनाने वालों की संख्या में बहुत इजाफा हो रहा है।…

जैसे कि हमारे जीवन में हरियाली का महत्व है, वैसे ही हरा भरा वायुमण्डल स्वच्छ व स्वास्थ्यवर्धक होता है। इसलिए शाकाहार का हमारे जीवन में महत्व है। शाकाहार हमारे जीवन को स्वस्थ व दीर्घायु बनाता है। मांसाहार कई रोग पैदा करता है। हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, रक्त व चर्म रोग, पीलिया, पेट के विभिन्न रोग, कैंसर, किडनी के रोग, मानसिक विकार की संभावना मांसाहारियों में अधिक होती है। नियमित रूप से मांस का सेवन करने से रक्त वाहिनियों में कोलेस्ट्रोल जमा हो जाता है। मांसाहार का पाचन तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। मांस अधिक खाने से लीवर खराब होता है। इससे पीलिया हो जाता है। मांस में विभिन्न रोगों के कीटाणु होते हैं। पशु किसी रोग से संक्रमित हो तो वे कीटाणु मांस खाने वालों के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। मांसाहारी प्रायः आक्रामक, हिंसक व अत्यधिक तनाव के शिकार होते हैं जिससे हाइपरटेंशन होता है। उनका मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। चिकन (मुर्गा) खाने से कई रोग शरीर में संक्रमित हो जाते हैं प्रायः मुर्गे व मुर्गियां किसी न किसी रोग से ग्रस्त होती हैं। जिनका सेवन शरीर को रोगग्रस्त करता है।…

विश्व भर के शाकाहारियों को एक स्थान पर लाने और खुरपका-मुँहपका तथा मैड काओ जैसे रोगों से लोगों को बचाने के लिए उत्तरी अमेरिका के कुछ लोगों ने 70 के दशक में नॉर्थ अमेरिकन वेजिटेरियन सोसाइटी का गठन किया। सोसाइटी ने 1977 से अमेरिका में विश्व शाकाहार दिवस मनाने की शुरूआत की। अब एक नवम्बर को शाकाहार दिवस के रूप में मनाया जाता है। सोसाइटी मुख्य तौर पर शाकाहारी जीवन के सकारात्मक पहलुओं को दुनिया के सामने लाती है। इसके लिए सोसाइटी ने शाकाहार से जुड़े कई अध्ययन भी कराए हैं। दिलचस्प बात यह है कि सोसाइटी के इस अभियान के शुरू होने के बाद से अकेले अमेरिका में लगभग 10 लाख से ज्यादा लोगों ने माँसाहार को पूरी तरह त्याग दिया है।…
शाकाहार स्वाभाविक और प्रकृतिक जीवनशैली का नाम है। इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यह आपको पर्यावरण से जोड़ता है। वैश्वीकरण की इस दौड़ ने आम आदमी के जीवन में कितनी ही समस्याएं पैदा कर दी हैं। इसके बावजूद ऐसे करोड़ों लोग होंगे जो जीवन पर्यंत सिर्फ शाकाहार पर स्वाभाविक रूप से जीवनयापन करते हैं। वास्तव में शाकाहार मानव को प्रकृति का अनुपम उपहार है। दुग्ध उत्पाद,फल,सूखे मेवे, सब्जी और बीज सहित वनस्पति आधारित भोजन को ही शाकाहार कहते हैं।…
भारत-भू पर सुधारस की वर्षा करने वाले अनेक महापुरुष और संत कवि जन्म ले चुके हैं। उनकी साधना और कथनी-करनी की एकता ने सारे विश्व को ज्ञान रूपी आलोक से आलोकित किया है। इन स्थितप्रज्ञ पुरुषों ने अपनी जीवनानुभव की वाणी से त्रस्त और विघटित समाज को एक नवीन संबल प्रदान किया है। जिसने राजनैतिक, सामाजिक, धार्मिक, शैक्षणिक और संस्कृतिक क्षेत्रों में क्रांतिक परिवर्तन किये हैं। भगवान राम, कृष्ण, महावीर, बुद्ध, ईसा, हजरत मुहम्मदौर आध्यत्मिक साधना के शिखर पुरुष आचार्य कुन्दकुन्द, पूज्यपाद्, मुनि योगिन्दु, शंकराचार्य, संत कबीर, दादू, नानक, बनारसीदास, द्यानतराय तथा महात्मा गाँधी जैसे महामना साधकों की अपनी आत्म-साधना के बल पर स्वतंत्रता और समता के जीवन-मूल्य प्रस्तुत करके सम्पूर्ण मानवता को एक सूत्र में बाँधा है। उनके त्याग और संयम में, सिद्धांतों और वाणियों से आज भी सुख शांति की सुगन्ध सुवासित हो रही है। जीवन में आस्था और विश्वास, चरित्र और निर्मल ज्ञान तथा अहिंसा एवं निर्बैर की भावना को बल देने वाले इन महापुरुषों, साधकों, संत कवियों के क्रम में संतकवि दिगम्बर जैनाचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज वर्तमान में शिखर पुरुष हैं, जिनकी ओज और माधुर्यपूर्ण वाणी में ऋजुता, व्यक्तित्व में समता, जीने में संयम की त्रिवेणी है। जीवन-मूल्यों को प्रतिस्ठित करने वाले बाल ब्रह्मचारी श्री विद्यासागर जी स्वभाव से सरल और सब जीवों के प्रति मित्रवत व्यवहार के संपोषक हैं, इसी के कारण उनके व्यक्तित्व में विश्व-बन्धुत्व की, मानवता की सौंधी-सुगन्ध विद्यमान है।…
Read more: हिन्दी एवं शाकाहार के प्रति प्रतिबद्ध आचार्य विद्यासागर जी
भारतीय ज्ञान और दर्शन दुनियाभर के लोगों को लुभाता आया है। यहां से निकले बहुत से संतों और प्रचारकों ने विभिन्न प्रांतो, प्रदेशों, देशों में इस ज्ञान के बल से करोड़ों लोगों को सहिष्णुता, मानवीयता और शाकाहारी होने के लिए प्रेरित किया। जोधपुर के बिजनेसमैन वीरेंद्र भण्डारी भी जापान के लोगों को शाकाहार अपनाने की प्रेरणा दे रहे हैं।…
शाकाहार प्राणी को प्रकृति और पर्यावरण से जोड़ता है। ‘जीओ और जीने दो’ सहजीवी जीवन-पद्धति का उत्प्ररेक है। उल्लेखनीय होगा कि विश्व शाकाहार कांग्रेस द्वारा इस सम्बन्ध में पुर जोर प्रयास किए जा रहे हैं। शाकाहार के बढ़ते निरापद प्रभाव को महसूस करते हुए संसार के ७३ देश विश्व शाकाहार कांग्रेस के सदस्य बन चुके हैं। विश् व शाकाहार दिवस दिनांक १ अक्टूबर को मनाया जा रहा है; तो २ अक्टूबर को महात्मा गाँधी जयन्ती दिवस तथा ३ अक्टूबर को पशुओं के प्रार्थना दिवस के रूप में मना रहे हैं। इण्डियन पेडरेशन ऑफ अहिंसा आर्गेनाईजेशन्स कलकत्ता के तत्वाधान में ‘‘भक्ष्य-अभक्ष्य विकल्प की खोज’’ थीम पर राष्ट्रीय अहिंसा सम्मेलन आयोजित किया गया है एक ओर बड़े राष्ट्र अत्याधुनिक हथियारों व अन्य उपकरणादि पर अन्धाधुन्ध तरीके से बेतहाशा खर्चा करते जा रहें हैं। तो दूसरी ओर छोटे देशों के सामने भी रक्षार्थ एतद् व्यय-भार भुगतने की विवशता हैं। झूंठे दम्भ और शक्ति के मद में बौराये प्रतीत होते हैं। इस प्रवृत्ति पर अंकुश अत्यावश्यक है।…

डॉ अनेकांत कुमार जैन
मुस्लिम समाज में कुर्बानी और मांसाहार आम बात है,किन्तु ऐसे अनेक उदाहरण भी देखने में आये हैं जहाँ इस्लाम के द्वारा ही इसका निषेध किया गया है। इसका सर्वोत्कृष्ट आदर्शयुक्त उदाहरण हज की यात्रा है। मैंने इसका वर्णन साक्षात् सुना है तथा कई स्थानों पर पढ़ा है कि जब कोई व्यक्ति हज करने जाता है तो इहराम (सिर पर बाँधने का सफेद कपड़ा) बाँध कर जाता है। इहराम की स्थिति में वह न तो पशु-पक्षी को मार सकता है न किसी जीवधारी पर ढेला फेक सकता है और न घास नोंच सकता है। यहाँ तक कि वह किसी हरे-भरे वृक्ष की टहनी पत्ती तक भी नहीं तोड़ सकता। इस प्रकार हज करते समय अहिंसा के पूर्ण पालन का स्पष्टविधान है,कुरआन में लिखा है - ‘इहराम की हालत में शिकार करना मना है’।…

शाकाहार के संबंध में जब भी हम बात करते हैं, तो इसके अलग-अलग अर्थ लिए जाते हैं। कुछ लोग दूध और दूध से बनी चीजों को शाकाहार में शामिल नहीं करते, तो कुछ लोग मछली को शाकाहार मानते हैं। भारत में दुनिया भर में सबसे अधिक यानी 48 प्रतिशत से अधिक लोग शाकाहारी हैं, उसके बाद ब्रिटेन में 12 प्रतिशत, इजरायल में 13 प्रतिशत, स्वीडन में 10 प्रतिशत और चेक गणराज्य व पुर्तगाल में 1.5 प्रतिशत से भी कम शाकाहारी हैं।…
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चीन में मांस की खपत 50 प्रतिशत कम करने की उस देश की योजना का उल्लेख करते हुए पशु अधिकारों के लिए काम करने वाले संगठन पेटा ने आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अनुरोध किया कि भारत में जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए इस तरह के कदम उठाये जाएं.
पीपुल फॉर एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स (पेटा) ने कहा कि वे मोदी के चुनाव अभियान में ‘पिंक रिवॉल्यूशन’ का मुद्दा उठने से प्रसन्न हुए और गायों को बचाने के उनके विचारों को सराहा. पेटा ने कहा कि मांस की खपत कम करने से पशुओं की जान बचाई जा…
प्राचीन काल में भारत में मांसाहार नहीं होता था। महाभारतकाल तक भारत की व्यवस्था ऋषि मुनियों की सम्मति से वेद निर्दिष्ट नियमों से राजा की नियुक्ति होकर चली जिसमें मांसाहार सर्वथा वर्जित था। महाभारतकाल के बाद स्थिति में परिवर्तन आया। ऋषि तुल्य ज्ञानी मनुष्य होना समाप्त हो गये। ऋषि जैमिनी पर आकर ऋषि परम्परा समाप्त हो गई। उन दिनों अर्थात् मध्यकाल के तथाकथित ज्ञानियों ने शास्त्र ज्ञान से अपनी अनभिज्ञता, मांसाहार की प्रवृति अथवा किसी वेद-धर्मवेत्ता से चुनौती न मिलने के कारण अज्ञानवश वेदों के आधार पर शास्त्रों में प्रयुक्त गोमेघ, अश्वमेघ, अजामेघ व नरमेध आदि यज्ञों को विकृत कर उनमें पशुओं के मांस की आहुतियां देना आरम्भ कर दिया था। ऐसा होने पर भी हमें लगता है कि यज्ञ से इतर वर्तमान की भांति पशुओं की हत्या नहीं होती थी। जिन पशुओं को यज्ञाहुति हेतु मारा जाता था, ऐसा लगता है कि उस मृतक पशुओं का सारा शरीर तो यज्ञ में प्रयुक्त नहीं हो सकता था, अतः यज्ञशेष के रूप में यज्ञकर्ताओं द्वारा यज्ञ में आहुत उस पशु के मांस का भोजन के रूप व्यवहार किया जाना भी सम्भव है। कालान्तर में इसके अधिक विकृत होने की सम्भावना दीखती है। अतः कुछ याज्ञिकों की अज्ञानता के कारण यज्ञों में पशु हिंसा का दुष्कृत्य हमारे मध्यकालीन तथाकथ्ति विद्वानों ने प्रचलित किया था। इन लोगों ने अपनी अज्ञानता व स्वार्थ के कारण प्राचीन धर्म शास्त्रों की उपेक्षा की। यदि वह मनुस्मृति आदि ग्रन्थों को ही देख लेते तो उनको ज्ञात हो सकता था कि न केवल यज्ञ अपतिु अन्यथा भी पशुओं का वध घोर पापपूर्ण कार्य है।…
शाकाहारियों और मांसाहारियों पर कराए गए सर्वे में यह दावा किया है कि भारत में अब 70 प्रतिशत लोग मांसाहार का सेवन करते हैं, लेकिन शाकाहार में राजस्थान नम्बर वन है। आंकड़ों में सबसे अहम जो जानकारी निकलकर आई वह यह है कि देश में मांसाहरियों का प्रतिशत 2004 के मुकाबले गिर गया है। 2004 में यह 75 प्रतिशत था और 2014 में 71 प्रतिशत पर आ गया।…
इंदौर। शाकाहार को अपनाकर मांसाहार पर रोक लगाने की एक मुहिम अनूठे ढंग से शहर में नजर आई। सब्जियों से सजे कपड़ों को पहनकर लोगों को शाकाहार अपनाने की अपील की गई। विश्व पर्यावरण दिवस के पहले ही 'पिपुल फॉर द एथिकल ट्रीटमेंट ऑफ एनिमल्स' द्वारा यह अभियान चलाया गया। इसमें पेटा मेंबर एरिका गोयल ने सब्जियों से सजी परिधान को पहनकर लोगों से अपील की कि वे शाकाहार को अपनाएं।…
पिंगलेश्वर रेलवे स्टेशन के सामने जयगुरुदेव आश्रम में तीन दिनी सत्संग शुरू हुआ। बाबा उमाकांत महाराज के सान्निध्य में भक्ति रस बरसा। इसमें देशभर से आए हजारों अनुयायी शामिल हुए। 10 हजार से ज्यादा लोगों को नामदान दिया। प्रार्थना, सभा, ध्यान और भजन से कार्यक्रम शुरू हुआ। गुलाबी रंग के परिधान में आए अनुयायियों ने स्वप्रेरणा से भजन गाए। ध्यान भी लगाया। प्रवचन में बाबा ने कहा जब इंसान भगवान को पा जाता है। अहंकार से एकत्र किया धन जल्दी नष्ट हो जाता है। ऋषि-मुनि बैठकर साधना करते थे। इसमें उनकी सांसें कम खर्च होती हैं। यही वजह है कि उनकी आयु लंबी होती थी।…
हिंदू धर्म और जैन धर्म के अनुयायी धार्मिक कार्यों में बनने वाले भोजन में लहसुन-प्याज को वर्जित मानते हैं। ये परंपरा आज भी जीवित है। हालांकि इसे मानने वाले लोग बहुत कम हैं। दरअसल लहसुन-प्याज पौधों की जड़े हैं जिन्हें भोजन में मसाले के रूप में उपयोग करते हैं। जैन धर्म अहिंसा का समर्थन करता है लेकिन प्याज और लहसुन जैसे तामसिक खाद्य पदार्थ क्रोध और तनाव को विकसित करते हैं। इसलिए पारंपरिक विचार रखने वाले जैन धर्म के अनुयायी बिना प्याज और लहसुन वाला भोजन ही करते हैं।…
लोग जीवन के कई वर्षों तक मांस खाने के बाद अचानक शाकाहारी होने का फैसला करते हैं. शाकाहारी भोजन से शरीर पर क्या असर पड़ता है. मांस या प्रोसेस्ड फूड खाकर अक्सर सीने या पेट में जलन का एहसास होता है. कभी कभार जलन होना बड़ी बात नहीं लेकिन इसका बना रहना खतरनाक है. शाकाहारी खानपान से इसमें कमी आती है क्योंकि इसके फाइबर में एंटी ऑक्सीडेंट होते हैं.…
मांसाहार का सेवन करना हिंदू संस्कृति में वर्जित है क्योंकि यह मनुष्य का नहीं राक्षसी भोजन है। जो तरह-तरह के अमृत पूर्ण शाकाहारी उत्तम पदार्थों को छोड़ घृणित मांस आदि पदार्थों को खाते हैं ऐसे मनुष्य राक्षस के समान होते हैं। धार्मिक ग्रंथों में जीव हत्या को पाप बताया गया है इसलिए बहुत से लोग शाकाहार का अनुसरण करते हैं।…

1983 तक डॉ. प्रो. पूर्णसिंह लोकेश जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर पदस्थ थे। सैकड़ों विद्यार्थियों को हिंदी की तालीम देने के बाद अचानक उनका मन दुनिया की चकाचौंध से उचटा और वे संन्यासी हो गए। अब वे हजारों लोगों को मांसाहारी से शाकाहारी बनाने व धर्म से जोडऩे के मिशन में जुटे हैं।…

हाईकोर्ट बार एसोसिएशन के लाइब्रेरी हाल में जय गुरूदेव संस्था द्वारा शाकाहार, सदाचार एवं सद्व्यवहार पर वैज्ञानिक एवं दार्शनिक चिंतन गोष्टी का आयोजन सोमवार को किया गया। प्रोग्राम में बोलते हुए संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंकज जी महाराज ने शाकाहार व्यंजन की उपयोगिता के बारे में जानकारी दी। शुरुआत बार कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा अतिथिओं को पुष्प गुच्छ देने से हुई।…
आपने अक्सर शाकाहारियों और मांसाहारियों के बीच होने वाली बहस सुनी होगी, मांसाहारी कई बार शाकाहारियों को घास फूस खाने वाला बताते हैं, जबकि शाकाहारी लोग, मांसाहार करने वालों को जानवरों पर अत्याचार करने वाला कहते हैं, वैसे दुनिया के ज्यादातर देशों में लोगों को अपनी मर्ज़ी से भोजन करने की स्वतंत्रता है, लेकिन इनमें से मांसाहार यानी Non Veg Food खाने वालों की संख्या सबसे ज्यादा है…

ग्रामपंचायत मोडरडी में नागणेच्या माता मंदिर प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव कार्यक्रम के तहत कलश यात्रा मूर्ति की परिक्रमा का कार्यक्रम आयोजित किया गया। नागणेच्या माता मंदिर विकास एवं सेवा समिति द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में गांव आस-पास क्षेत्र के श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी। कलश यात्रा मूर्ति परिक्रमा निकाली गई। इस अवसर पर लोगों द्वारा जगह-जगह पर पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया। शोभायात्रा में महिलाओं द्वारा सज-धज कर अपने सिर पर कलश रखकर यात्रा में शामिल हुई। साथ ही नवनिर्मित नागेणाच्या माता की प्रतिमा की पूरे गांव में परिक्रमा निकाली।…
Read more: मांसाहारी की मानसिकता भी छोटी हो जाती है और शाकाहार के घर सुख-शांति रहती है - प्रतापपुरी

शास्त्रीय नृत्य कला खासकर भरतनाट्यम को ऊंचाइयों तक पहुंचाने का श्रेय रुक्मिणी देवी को जाता है। उन्होंने भरतनाट्यम की मूल विधा 'साधीर' को तब पहचान दिलाई जब महिलाओं के नृत्य करने को समाज में अच्छा नहीं माना जाता था। उन्होंने तमाम विरोधों के बावजूद महिलाओं के नृत्य करने का समर्थन किया। इनके 112वें जन्मदिवस पर गूगल ने नृत्य मुद्रा में इनका डूडल बनाकर श्रद्धांजलि दी।…
Read more: इस शाकाहारी डांसर को मिला था भारत की राष्ट्रपति बनने का ऑफर
सारी दुनिया में भारत ही ऐसा एकमात्र देश है, जिसमें करोड़ों शाकाहारी लोग रहते हैं। ये शाकाहारी लोग मांस, मछली, अंडा वगैरह नहीं खाते। वे मांसाहार नहीं करने को अपने धर्म का हिस्सा मानते हैं लेकिन अमेरिकी और यूरोपीय लोगों के मांसाहार में कोई धार्मिक बाधा नहीं है। दुनिया के मुस्लिम और बौद्ध देशों में भी मांसाहार पर कोई धार्मिक पाबंदी नहीं है। लेकिन आजकल अनेक यूरोपीय देशों और अमेरिका में लोग मांसाहार छोड़ रहे हैं, क्योंकि इन देशों की वैज्ञानिक संस्थाएं यह सिद्ध कर रही हैं कि मांसाहार मनुष्यों के शरीर के लिए हानिकारक है। वह स्वास्थ्य तो खराब करता ही है, उससे आर्थिक नुकसान भी होता है और वह पर्यावरण को हानि भी पहुंचाता है।…





