गर्व था भारत-भूमि को
कि महावीर की माता हूं ।।
राम-कृष्ण और नानक जैसे
वीरों की यशगाथा हूं ।।
कंद-मूल खाने वालों से
मांसाहारी डरते थे ।।
पोरस जैसे शूर-वीर को
नमन ‘सिकंदर’ करते थे ।।
चौदह वर्षों तक वन में
जिसका धाम था ।।
मन-मन्दिर में बसने
वाला शाकाहारी राम था ।।
चाहते तो खा सकते थे
वो मांस पशु के ढेरों में ।।
लेकिन उनको प्यार मिला
‘शबरी’ के झूठे बेरो में ।।
चक्र सुदर्शन धारी थे
गोवर्धन पर भारी थे ।।
मुरली से वश करने वाले
‘गिरधर’ शाकाहारी थे ।।
पर-सेवा, पर प्रेम का परचम
चोटी पर फहराया था ।।
निर्धन की…